भगवान बदरी विशाल की अब देवता करेंगे पूजा

भगवान बदरी विशाल की अब देवता करेंगे पूजा


भगवान बदरी विशाल के कपाट आज रविवार को सांय 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद हो गये हैं। इस बार कपाट बंद होने पर लगभग 10 हजार यात्रियों की भगवान के दर्शन किये । मंदिर समिति  ने मंदिर के  कर्मचारियों व बदरीनाथ के थाना अधिकारियों को सम्मानित किया।
आज 17 नवंबर रविवार  सांय 5 बजकर 13 मिनट पर बंद हुये कपाट, बंद कपाट प्रात: 3 बजे खुले भक्तजन प्रातः 2 बजे से ही मंदिर परिसर के बाहर कतार में खड़े हो हुए थे,  अतः 3 बजे कपाट खुलने के बाद 3:30 पर भगवान का अभिषेक हुआ  प्रात: 7 बजे बद्री भगवान का फूलो से  श्रृंगार किया , 8 बजे  से भक्तों ने किये भगवान के दर्शन  किये 9 .30 राज भोग किया उसके बाद 12 बजे बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर बदरीनाथ मंदिर समिति द्वारा भगवान की वंदना की गई।


3 बजे से आम यात्रियो के लिये दर्शन खोले गए  4:30 पर भारत के अंतिम गांव माणा गांव कि अविवाहित कन्याओंं द्वारा एक दिन में बुनी ऊन की कंम्बल को भगवान को भेंट किया, रावल ईश्वरी प्रसाद  नम्बूरदरी ने घी में लपेट कर भगवान को पहनाया। 5 बजकर 13 मिनट पर जय बदरी विशाल के जयकारो के साथ बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद किये। कहा जाता है कि शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना देवता करते है। बद्रीनाथ धाम का उल्लेख भारतीये अनेक पुराणों में भी मिलता है जिसमे भगवत पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत विशेष है।